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लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2022

कुछ बात बतानी थी तुमको

जो सच्ची समझो
बेशक सुनकर मुझको 
छोटी बच्ची समझो।

तुम होते हो तो दुनिया
भर की बातें होती हैं
कभी चुगलियां कभी लड़ाई
कभी शिकायतें होती हैं।

कभी कभी तो तुमपर
गुस्सा भी आता है
कभी तुम्हारे साथ निभाना
दूभर हो जाता है।

पर दो दिन को भी
जब तुम बाहर जाते हो
बाकी का तो पता नहीं
बस याद तुम्ही आते हो।

याद आता है मेरी हर इच्छा
पूरी करते जाते हो
कभी डांटकर कभी हंसाकर
मुझको समझाते हो।

हंसते खिलते गाते लड़ते 
हरदम रहते हो 
और मुसीबत में दृढ़ होकर
आगे रहते हो।

यूं तो गुस्सा हरदम 
ही तुमको आ जाता है
मगर सहनशीलता से तुमसे
अद्भुत नाता है।

मन करता है रोऊँ
तुमको पास बुला लूँ
या तुममें खो जाऊं
या तुम्हें खुद में बसा लूँ।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु

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7 Comments

Neeraj Agarwal

19-Oct-2022 04:29 PM

रचना सही है शब्द दैनिक यहाँ मस्त है

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Punam verma

17-Oct-2022 09:25 AM

Very nice

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Ajay Tiwari

17-Oct-2022 08:05 AM

Very nice

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